मध्यकालीन भारत

मध्यकालीन भारत

    राजा बीरबल की उपाधि महेष दास को दिया गया ।
    भारत में बीबी का मकबरा - औरंगाबाद में
    भारत में प्रथम मुस्लिम आक्रमण - अरबों ने
    मोहम्मद बिन कासिम ने 712 में सिंध पर आक्रमण किया ।
    मोहम्मद बिन कासिम ने सर्वप्रथम जजिया कर गैर मुस्लिमों से लगाया गया
    खेती - खजूर एवं उंट पालन


    तुर्को का आक्रमण:-
    प्रथम - महमूद गजनवी ने सन् 1000-1027 के बीच, 17 बार आक्रमण किया
    पहला आक्रमण पंजाब में 1000 ई. में राजा जयपाल से ।
    1194 ई. चंदावर के युद्ध में जयचंद को परास्त किया ।
    1025 ई. गुजरात के सोमनाथ मंदिर में आक्रमण कर लूटा ।
    1027 ई. में अंतिम आक्रमण सिंध के जाटों पर किया ।
    महमूद गजनवी के साथ एक विद्वान अलबरूनी भी आया था ।
    गजनवी के षासन में -अलबरूनी ने ‘किताबुल हिन्द’ की रचना की,(विद्वान)
-फिरदौसी ने ‘षाहनामा’ की रचना की
-उल्बी ने ‘किताबुल यामिनी’ की रचना की, (इतिहासकार)
    महमूद गजनवी को भारत का प्रथम सुल्तान माना जाता है ।
    1008 ई. में महमूद गजनवी ने मूर्तिवाद का विरोध किया ।
    उद्देष्य धर्म प्रचार नहीं था ।

    मोहम्मद गोरी:- षिहाफदीन, मुइजुददीन
    1175 ई. में मुल्तान पर पहला आक्रमण किया ।
    1191 ई. में तराईन का प्रथम युद्ध मो. गोरी और पृथ्वीराज चैहान तृतीय के बीच, पृथ्वीराज चैहान विजय हुआ ।
    1192 ई. में तराईन का द्धितीय युद्ध मो. गोरी और पृथ्वीराज चैहान तृतीय के बीच, मो. गोरी विजय हुआ ।
    मो. गौरी द्वारा तराईन का द्धितीय युद्ध के बाद तुर्क राज्य की स्थापना ।
    जीते राज्यों को गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंप दिया और चला गया ।
    मो. गौरी ने दिल्ली को अपना राजधानी बनाया ।
    गौरी ने जो सिक्के चलाया उसमें एक तरफ लक्ष्मी व दूसरी तरफ कलमा अंकित करवाया था ।

दिल्ली सल्तनत:- 1206 से 1526
    गुलाम वंष (1206-1290):-
कुतुबुुद्दीन ऐबक -
    गुलाम वंष का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक को माना जाता है ।
    राजधानी लाहौर को बनाया था ।
    दिल्ली में कुतुबमीनार का निर्माण, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद एवं अढ़ाई दिन के लिए झोपड़ा अजमेर में बनवाया था ।
    दिल्ली का सुल्तान जिसकी मृत्यु पोलो (चैगान) खेलते समय घोड़े से गिरकर मृत्यु हो गया ।
    संत काकी की स्मृति में कुतुबमीनार का निर्माण करवाया ।
    उदारता के कारण ‘‘लाख बक्ष’ एवं ‘हातिम द्धितीय’ भी कहा गया ।

इल्तुतमिष:-
ऽ    राजधानी दिल्ली को बनाया ।
ऽ    अरबी लेख का षुद्ध चांदी का टका एवं तांबे का जीतल सर्वप्रथम चलाया ।
ऽ    न्याय के लिए घंटी व्यवस्था प्रारंभ की ।
ऽ    काजी और अमीर-ए-दान न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति की ।
ऽ    इक्ता प्रथा का प्रारंभ करवाया ।
ऽ    इल्तुतमिष ने सिक्कों पर ‘‘टकसाल’’ का नाम लिखने की प्रथा प्रारंभ की ।
ऽ    चंगेज खां का आक्रमण हुआ ।
ऽ    षासक बनने से पहले बदायूॅं का सूबेदार था ।

रजिया सुल्तान:- 1236-40 3 )  वर्श
ऽ    भारत का प्रथम महिला षासिका ।
ऽ    आमीर-ए-आखूर (अष्वषाला का प्रधान) हब्सी जलालुद्दीन याकूब को बनाया ।
ऽ    रजिया का विवाह भटिंडा के सूबेदार अल्तूनिया से हुआ था ।
ऽ    भाई वहरामषाह ने रजिया व अल्तुनिया को डाकूओं के द्वारा मरवा दिया ।

असफलता के कारण - गुलाम अमीर तुर्को की महत्वाकांक्षा थी ।

ग्यासूद्दीन बलबन:-
ऽ    बलबन ने ‘जिल उल्लाह’, ‘उलगू खां’ की उपाधि धारण की ।
ऽ    चहलगान की समाप्ति,
ऽ    अमीर खुसरो को ‘तुती-ए-हिन्द’ कहा जाता है ।
ऽ    खुसरों का जन्म इटावा (उत्तरप्रदेष) में हुआ एवं इसका वास्तविक नाम अबुल हसन अली था । इन्हे ही सितार व तबला का आविश्कारक माना जाता है ।
ऽ    ‘बरीद’ नामक गुप्तचर विभाग, ‘दीवान-ए-अर्ज’ सैन्य विभाग का गठन किया
ऽ    ग्यासुद्दीन बलबन की नीति को ‘‘लौह एवं रक्त’’ () की नीति कहा जाता है
ऽ    पाबोस, सिजदा, नौरोज (त्यौहार, ईरानी सवंत-नयावर्श) गैर इस्लामिक प्रथा की षुरूआत ।
ऽ    ग्यासुद्दीन बलबन का मानना था ‘सुल्तान का पद ईष्वर प्रदत्त होता है ।’ तथा ‘राजा को निरंकुष होना चाहिए ।’
ऽ    गुलाम वंष का अंतिम षासक ‘कैमुर्स’ को माना जाता है । जिसकी हत्या कर फिरोजषाह खिलजी ।
ऽ    बहरामषाह के समय ‘नाइब’ का पद प्रारंभ हुआ था ।

खिलजी वंष (1290 ई.-1320 ई. तक)
ऽ    संसथापक - फिरोजषाह खिलजी को माना जाता है ।
ऽ    अफगानिस्तान में हेलमंद नदी के दोनों किनारे को ‘खलज’ कहा जाता था इसलिए इन्हें खिलजी के नाम से जाना गया ।
ऽ    खिलजी षासकों की सत्ता मुख्य रूप् से षक्ति पर आधारित थी ।
ऽ    पहला षासक जलालुद्दीन फिरोजषाह खिलजी ।
ऽ    इसकी आंतरिक नीति दूसरों को प्रसन्न करने के लिए थी ।
ऽ    हिन्दु राजाओं के प्रति उदार,
ऽ    विद्रोहियों के विरूद्ध दुर्बल नीति,
ऽ    मुइनुद्दीन चिष्ती का दरगाह (चिष्ती), निजाउद्दीन औलिया का मजार (दिल्ली), सलीम चिष्ती (फतेहपुर सीकरी), बुलंद दरवाजा (फतेहपुर सीकरी, उ.प्र.),
ऽ    ‘‘मैं वृद्ध मुस्लिम हूं और मुस्लिमों का खून बहाना मेरी आदत नहीं है ’’
जलालुद्दीन
अलाउद्दीन खिलजी:- सिकन्दर-ए-सानी
ऽ    बचपन का नाम -
ऽ    भूमि अनुदान प्रथा बंद करायी ।
ऽ    घोड़े दागने की प्रथा षुरू करायी,
ऽ    सिक्कों पर अपना उल्लेख ‘द्वितीय सिकंदर’ के रूप में कराया,
ऽ    ‘‘बाजार नियंत्रण’’ इनकी महत्वपूर्ण उपलब्धि,
ऽ    मदिरापान पर प्रतिबंध,
ऽ    चितौड़गढ़ (राजस्थान) को जीतने वाला पहला षासक, जीतने के बाद अपने पुत्र के नाम पर ‘खिज्राबाद’ रखा ।
ऽ    अलाउद्दीन के दक्षिण विजय का श्रेय मलिक काफूर को जाता है ।
ऽ    मलिक काफूर (हजार दीनारी) को ग्वालियर विजय के समय खरीद कर लाया था, जिसे बाद में सेनापति बनाया । इनका विवाह कमला देवी के साथ हुआ ।
ऽ    अलाउद्दीन ने मालवा विजय के उपरांत ‘अलायी दरवाजा’ (अलायी किला) का निर्माण दिल्ली में करवाया, जिसे ‘कुवल-उल-इस्लाम’ का प्रवेष द्वार कहा जाता है ।
ऽ    मालवा म.प्र. के पष्चिमी क्षेत्र में है ।
ऽ    लोट्स टेम्पल दिल्ली में
ऽ    अलाउद्दीन ने भ्रश्टाचार को समाप्त करने के लिए ‘दीवान-ए-मुस्तकराज’ की स्थापना किया ।
ऽ    ‘‘स्थायी सेना’’ गठित करने वाला पहला षासक बना ।
ऽ    राषन व्यवस्था प्रारंभ की ।
ऽ    ‘चराई कर’ और ‘घाटी कर’ के रूप में नया कर का प्रारंभ किया ।
ऽ    अलाउद्दीन  ने कहा ‘‘सेना ही राजत्व है राजत्व ही सेना है ।’’
ऽ    दक्षिण विजय करने वाला प्रथम षासक ।
ऽ    भारत का प्रथम सम्राट अलाउद्दीन खिलजी को माना जाता है ।
ऽ    धर्म और राजनीति का पृथक्करण करने वाला षासक
ऽ    राजधानी दिल्ली से सीरी (दिल्ली के पास) को बनाया ।
ऽ    सैनिकों का हुलिया लिखने का प्रथा आरंभ की,
ऽ    खिलजी वंष का अंतिम षासक - खुसरोषाह था ।
तुगलक वंष (1320 ई.-1414 ई. तक)
ऽ    खुसरो षाह की हत्या ग्यासुद्दीन तुगलक या गाजी मलिक ने कर तुगलक वंष की स्थापना की ।
ग्यासुद्दीन तुगलक - जौना खांॅ
ऽ    प्रथम षासक - ग्यासुद्दीन तुगलक
ऽ    नहर निर्माण करने वाला प्रथम षासक
ऽ    दक्षिण के राज्यों को पहली बार दिल्ली साम्राज्य में मिलाया ।
ऽ    तुगलकाबाद षहर बसाया ।
ऽ    दिल्ली अभी दूर है का संबंध - निजामुद्दीन औलिया
ऽ    लकड़ी का भवन गिरने से मृत्यु
मुहम्मद बिन तुगलक
ऽ    मुहम्मद बिन तुगलक को ‘रक्त पिपाष’ु, ‘पागल बादषाह’, ‘सृश्टि का आष्चर्य’, ‘विरोधाभासु’, ‘स्वप्नषील’ कहा गया है ।
ऽ    ‘दीवान-ए-कोही’ नामक कृशि विभाग की स्थापना की,
ऽ    इसकी मृत्यु पर बंदायू ने कहा - ‘‘प्रजा को सुल्तान से और सुल्तान को प्रजा से मुक्ति मिल गयी ।’’
ऽ    ‘जहांपनाह’ नगर की स्थापना,
ऽ    धर्म और राज्य को जुड़वा घोशित किया था ।
ऽ    सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (तांबे व कांसे)
ऽ    इनके समय में मोरक्को यात्री इब्नतूता (रचना -रेहल्म) आया ।
ऽ    देवगिरी का नाम बदलकर दौलताबाद रखा ।
ऽ    इनके समय में सर्वाधिक आक्रमण हुए, 34 बार जिसमें 27 में विजय हासिल
ऽ    दिल्ली से देवगिरी को राजधानी बनाया ।
ऽ    संपूर्ण दक्षिण भारत इनके समय स्वतंत्र हुए ।
ऽ    ‘‘अकाल राहत संहिता’’ का निर्माण कराया ।
ऽ    इतिहासकारों ने इसे विरोध का मिश्रण कहा ।

फिरोजषाह तुगलक -
ऽ    पहला षासक जिसने ब्राहम्णो पर जजिया कर लगाया ।
ऽ    रोजगार दफ्तर स्थापित,
ऽ    पोस्ट मार्टम रिपोर्ट प्रारंभ करवाया,
ऽ    कुतुबमीनार की पांचवी मंजिल बनवाया ।
ऽ    ‘दीवान-ए-खैरात’ विभाग (दान विभा) प्रारंभ किया,
ऽ    ‘दीवान-ए-वल्दगान’ विभाग (गुलामों के देखभाल के लिए) की स्थापना,
ऽ    ‘दार-उल-सफा’ नामक बिमारी से मुक्ति के लिए अस्पताल,
ऽ    ‘ज्वालामुखी’ और ‘जगन्नाथ’ मंदिर ध्वस्त करवाया ।
ऽ    पुनः जागीदारी प्रथा का प्रारंभ करवाया ।
ऽ    पहला सुल्तान ‘फुतुहाते फिरोजषाही’ (आत्मकथा) नाम से तुर्की भाशा में ।
ऽ    अषोक स्तंभ को मेरठ और तोपरा स्तंभ को दिल्ली लाया ।
ऽ    फिरोजषाह को सल्तनत कालीन अकबर कहा जाता है ।
ऽ    सल्तनत काल का कल्याणकारी निरंकुष षासक था ।
ऽ    सिंचाई हेतु नहरो का सर्वाधिक विस्तार इसके समय में हुआ ।
ऽ    ‘दीवान-ए-एस्तेहाक’ (पेंषन विभाग) की स्थापना की ।
ऽ    सिचाई पर कर लगाने वाला प्रथम षासक,
ऽ    पहला षासक जिसने राज्य की
ऽ    1200 फलों के बाग लगवाये,
ऽ    तत्कालीन इतिहासकार ‘वरनी-तारीखे’ फिरोजषाह ने लिखा ।
ऽ    षम्स सिराज ने ‘अफीम-तारीखे-फिरोजषाही’ की रचना की ।
ऽ    बरूद्दीन महमूद तुगलक वंष का अंतिम षासक था ।

    1398 ई. में तैमूर लंग दिल्ली पहुंचा जहां महमूदषाह के साथ युद्ध हुआ, जिसमें महमूदषाह पराजित हो गया ।
    तैमूर लंग 1399 ई. खिज्र खाॅं को अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर वापस चला गया
    सैयद वंष (1414 ई.-1451 ई.)- संसथापक- खिज्र खाॅ,

लोदी वंष
    लोदी वंष (1451 ई.-1526 ई.)- संसथापक- बहलोल लोदी (अफगानी) सिंकदर लोदी का मूल नाम - निजाम खाॅ, सिकंदर के नाम से गद्दी पर बैठा ।
    गुलरूखी के नाम से कविता करता था,
    सिकंदर लोदी ने 1574 ई. में आगरा षहर की स्थापना की ।
    इब्राहिम लोदी लोदी वंष एवं दिल्ली सल्तनत का अंतिम षासक ।

    1526 ई. में बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ, जिसमें बाबर विजयी हुआ, इसी के साथ मुगल साम्राज्य स्थापित हुआ ।
    दिल्ली सल्तनत या सल्तनत काल की भाशा - फारसी
    अमीर खुसरो - बलबन से लेकर ग्यासुद्दीन तुगलक तक राजदरबार में रहा ।
    सल्तनत काल में तांबे के सिक्के ‘दिरहम’ कहलाते थे ।
    मोहम्मद बिन तुगलक ने सोने के सिक्के चलाया जिसे दीनार कहा जाता था ।
    अमीर खुसरो निजामुद्दीन औलिया का षिश्य था ।
    सैनिक व आर्थिक सुधार की दृश्टि से महत्वपूर्ण काल - अलाउद्दीन खिलजी
    ‘‘दीवान-ए-रसालत’’ (विदेष विभाग)
    ‘‘दीवान-ए-अर्ज’’ ग्यासुद्दीन बलबन

मुगल काल (1526 ई.-1707 ई.)

मुगल काल की राजभाशा - फारसी था ।
अंतिम मुगल सम्राट - बहादुर षाह द्वितीय


बाबर
ऽ    संस्थापक - बाबर
ऽ    जन्म- 14 फरवरी 1483 ई. में फरगाना रियासत (ट्रांस आक्सियान के अंतगर्त)
ऽ    1504 ई. में काबूल विजय,
ऽ    1507 ई. में कंधार को जीता,
ऽ    दौलत खाॅ और आलम खाॅ ने बाबर को भारत आने का न्यौता दिया ।
ऽ    अपने आत्मकथा में मेवाड़ के राणा सांगा का उल्लेख किया है ।
ऽ    पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 ई. में बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच, जिसमें बाबर विजयी,
ऽ    बाबर के विजयी होने के कारण - तोपखाने का प्रयोग किया गया, तुलगुमा युद्ध नीति, तोपों की उस्मानी विधि के कारण ।
ऽ    बाबर को कलंदर की उपाधि
ऽ    खानवां का युद्ध - 1527 ई. में राणा सांगा (संग्राम सिंह, मेवाड़) और बाबर के बीच
ऽ    बाबर ने राणा सांगा के विरूद्ध जेहाद का नारा दिया ।
ऽ    विजयी होने के बाद ‘गानी’ की उपाधि धारण की ।
ऽ    चंदेरी का युद्ध - 1528 ई. में मेदनी राय (चंदेरी षासक) और बाबर के बीच
ऽ    घाघरा का युद्ध - 1529 बंगाली व अफगानी सेना और बाबर के बीच, यह युद्ध जल व थल दोनो में लड़ा गया मूलतः अफगानों के विरूद्ध ।
ऽ    बाबर की मृत्यु 1530 ई. में
ऽ    बाबर का पुत्र हुमायु, पुत्री गुलबदन बेगम
ऽ    गुलबदन बेगम ने ‘हुमायुनाम’ की रचना की,
ऽ    बाबर को सर्वप्रथम ‘आराम बाग’ (आगरा) में दफनाया गया ।
ऽ    मकबरा ‘काबुल’ (अफगानिस्तान) में मकबरा ।
ऽ    आराम बाग व ‘नूरे-अफगान’ बाबर ने बनवाया था ।
ऽ    उपवनों का राजकुमार ‘बाबर’ को कहा जाता है ।
ऽ    बाबर ने तुर्की में ‘बाबरनामा’ आत्मकथा की रचना की ।


हुमायु
ऽ    हुमायु को भाग्यषाली षासक कहा जाता है ।
ऽ    प्रमुख प्रतिद्वंदी - अफगानी नेता षेरषाह सूरी
ऽ    1539 ई. में चैसा (उ.प्र.) का युद्ध हुमायु और षेरषाह के बीच हुआ था ।
ऽ    1540 ई. में बिलग्राम का युद्ध हुमायु और षेरषाह के बीच हुआ था । षेरषाह सूरी अंतिम रूप से पराजित हुआ ।
ऽ    15 वर्शो तक भागने के पष्चात् 1555 ई. में ‘सरहिंद’ (हुमायु और अफगानों के बीच) के युद्ध में भारत वापस ।
ऽ    हुमायु को ‘अफीमची’ कहा जाता था ।
ऽ    ‘हुमायुनामा’ रचना - गुलबदन बेगम ने लिखी थी ।
ऽ    हुमायु ने ‘दीन-पनाह’ (उ.प्र.) नामक षहर बसाया ।
ऽ    दीनपनाह की सीढ़ियों से गिर कर मृत्यु हुआ ।
ऽ    लेनपू ने कहा - ‘‘जिंदगी भर लड़खड़ाते रहा और लड़खड़ाते हुए मर गया’’
ऽ    हुमायु का मकबरा - दिल्ली


षेरषाह सुरी
ऽ    ‘षेरषाह सूरी’ के बचपन का नाम फरीद था ।
ऽ    भारत में द्वितीय अफगान साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है ।
ऽ    प्रथम अफगान संस्थापक - बहलोल लोदी
ऽ    प्रथम युद्ध - चैसा का युद्ध (1539 ई. में) षेरषाह सूरी और हुमायु के बीच
ऽ    द्वितीय युद्ध - बिलग्राम का युद्ध (1540 ई. में) षेरषाह सूरी और हुमायु के बीच
ऽ    षेरषाह सूरी को मुद्रा व्यवस्था का महान निर्माणकर्ता कहा जाता है । चांदी का रूपया, तांबे का दाम निर्धारण ।
ऽ    1700 सरायों का निमार्ण कराया ।
ऽ    पटना नगर की स्थापना ।
ऽ    रोतासगढ़ का दुर्ग (किला) बनवाया ।
ऽ    अंतिम विजय- कलिंजर विजय
ऽ    भूमि के माप के लिए सन की डंडी का प्रयोग ।
ऽ    षेरषाह सूरी ने ‘सड़क-ए-आजम’ (ग्रांड ट्रंक रोड़) का निर्माण कराया
ऽ    षेरषाह सूरी ने अपना मकबरा सासाराम (बिहार) में बनवाया ।
ऽ    षेरषाह सूरी ने पुराना किला (किला-ए-कुहना) दिल्ली में बनवाया ।
ऽ    षेरषाह सूरी के षासन काल में डाक व्यवस्था का प्रचलन ।
ऽ    षेरषाह सूरी के प्रषासन को अकबर का पूर्वगामी कहा जाता है ।
ऽ    षेरषाह सूरी की मृत्यु आग्नेषास्त्र (उक्का) से जलकर हुई ।

अकबर - जन्म - अमरकोट में 15 अक्टूबर 1542
ऽ    बचपन का नाम - बदरूद्दीन, जहरूद्दीन
ऽ    गजनी का सूबेेदार
ऽ    बैरम खाॅ को खान-ए-खाना (संरक्षक) की उपाधि दी ।
ऽ    1556 ई. में पानीपत का द्वितीय युद्ध अकबर और हेमु के मध्य ।
ऽ    अकबर की प्रथम विजय - मालवा
ऽ    ‘फतेहपुर सिकरी’ षहर को बसाया - अकबर
ऽ    अकबर ने ‘दीन-ए-इलाही’ धर्म चलाया ।
ऽ    1576 ई. में हल्दी घाटी का युद्ध अकबर और महाराणा प्रताप के साथ, अकबर विजय रहा ।
ऽ    1572 ई. में गुजरात विजय के उपरांत बुलंद दरवाजा बनवाया, पहली बार अकबर समुद्र देखा ।
ऽ    1605 ई. में अकबर की मृत्यु पेचिस के कारण, मकबरा सिकन्दरा (आगरा) में
ऽ    राजकवि - फैजी
ऽ    इलाही सवंत् चलाया ।
ऽ    सिक्खों के गुरू रामदास से भेंट की,
ऽ    अकबर के काल में समस्त भूमि सुधार का श्रेय टोडरमल को जाता है ।
ऽ    मनसबदारी व्यवस्था प्रारंभ की ।
ऽ    आगरा किला, इलाहाबाद किला, लाहौर किला बनवाया ।
ऽ    नक्कारा बजाने में पारंगत,
ऽ    अनुवाद विभाग की स्थापना की ।
ऽ    अकबर षासन काल में प्रांतों की संख्या 15 थी ।
ऽ    नवरत्न - बीरबल (महेष दास), अबुल फजल (रचना-आईने-अकबरी), टोडरमल, तानसेन (मुल्ला दो प्याजा) ।
ऽ    अकबर के काल को हिंदी कविता का स्वर्ण काल कहा जाता है ।
ऽ    समकालीन - सूरदास, तुलसीदास, रैदास
ऽ    अकबर ने राम-सीता सिक्का चलवाया ।
ऽ    इबादत खाना बनवाया, दास प्रथा बंद करवाया ।

जहांगीर - सलीम, षेखू बाबा
ऽ    पहली पत्नि - मानबाई
ऽ    न्याय की जंजीर लगवाया ।
ऽ    1611 ई. में नूरजहां (मेहरूनिषा) से विवाह ।
ऽ    नूरजहां के पिता एतमाउदौला का मकबरा (आगरा) में पूर्णतः संगमरमर से बनाया गया है ।
ऽ    जहांगीर का मकबरा - लाहौर (षाहदरा)
ऽ    नूरजहां का विवाह रोर अफगान में अली डुली बेग के साथ हुई थी ।
ऽ    जहांगीर के षासन काल में दो अंग्रेज हांकिन्स (1608 ई.) और टाॅमस रो (1615 ई.) भारत आये ।
ऽ    जहांगीर के षासन काल को चित्रकारी का स्वर्ण काल कहा जाता है । चित्रकार-अबुल हसन और मंसूर (पक्षियों के चित्र बनाने के लिए)
ऽ    जहांगीर ने सिक्खांे के पांचवें गुरू ‘अर्जुनदेव’ को फांसी दी । (समाधि-लाहौर के पास)
ऽ    खुसरों का विद्रोह हुआ था ।
ऽ    जहांगीर की आत्मकथा - तजुके-जहांगीरी फारसी भाशा में ।
ऽ    रहीम खान खाना के सानिध्य में जहांगीर ने षिक्षा प्राप्त की ।
ऽ    इसने 12 अध्यादेष जारी करवाये थे ।
ऽ    इत्र का आविश्कार - अस्मत बेग ने ।
ऽ    जहांगीर की पहली का लडका - षहरयार खान

षाहजहां -
ऽ    बचपन का नाम - खर्रम, पिता - आसफ खाॅ
ऽ    विवाह - मुमताज (वास्तविक नाम - अर्जुमंद बानो बेगम)
ऽ    मुमताज की मृत्यु - बुरहानपुर (म.प्र.) में हुई ।
ऽ    षाहजहां ने आगरा में सत्ता संभाला ।
ऽ    षाहजहां ‘‘सिजदा और पाबोस’’ प्रथा बंद करवाया ।
ऽ    काष्मीर में ‘‘निषान बाग’’ बनवाया था ।
ऽ    षाहजहां के काल को स्थापत्य कला के लिए स्वर्ण काल माना जाता है ।
ऽ    ‘‘लाल किला (दिल्ली)’’, ‘‘दीवान-ए-आम’’, ‘‘दीवान-ए-खास’’ (में लिखा गया ‘पृथ्वी में स्वर्ग कहीं है तो यहीं है’- फिरदौसी ने लिखा ), का निमार्ण करवाया ।
ऽ    दिल्ली का ‘जामा मस्जिद’ - उस्ताद लाहौरी, वास्तुकार- ईषा खाॅ
ऽ    आगरा का ‘ताजमहल’ ’ - उस्ताद मंसूद (हुमायु के मकबरा से प्रेरित)
ऽ    चांदनी चैक -
ऽ    आगरा किला में ‘मोती मस्जिद’ बनवाया था ।
ऽ    ‘तख्त-ए-ताउस (मयूर सिंहासन) का निर्माण
ऽ    राजकवि - जगन्नाथ पंडित
ऽ    षाहजहां के दरबार में वार्नियर और ट्रेवनियर आये ।
ऽ    पुनः जजिया कर लगाया,
ऽ    उत्तराधिकार के लिए युद्ध एवं औरंगजेब ने षाहजहां को ‘आगरा किला’ में कैद किया था ।
ऽ    षाहजहां को मीरजुमला ने ‘कोहिनूर का हीरा’ भेंट किया था ।
ऽ    दरबारी इतिहासकार - हामिद लाहौरी

औरंगजेब -
ऽ    औरंगजेब को ‘जिंदापीर’ कहा जाता था ।
ऽ    जन्म - उज्जैन के पास दोहद में
ऽ    उत्तराधिकार के लिए युद्ध के समय दक्षिण का सूबेदार था ।
ऽ    विवाह - दिलरास बानो बेगम (रजिया बीवी)
ऽ    दो बार राज्याभिशेक,
ऽ    80 करों को समाप्त किया
ऽ    सिक्खों के नौवेें गूरू ‘तेग बहादूर’ को फांसी दी गई ।
ऽ    सर्वाधिक हिंदू अधिकारी ‘मंसबदार’ थे ।
ऽ    वीणा बजाने में पारंगत ।
ऽ    सती प्रथा, नौरोज, झरोखा दर्रान, संगीत और महिलाओं को मजार जाने पर प्रतिबंध लगाया ।
ऽ    बीवी का मकबरा औरंगाबांद में बनवाया (इसे ताजमहल का फूहड़ नकल कहा गया)
ऽ    औरंगजेब का मकबरा - ओरगाबाद (महाराश्ट्र)
ऽ    दिल्ली किले में मोती मस्जिद बनवाया ।
ऽ    इस समय प्रांतो की संख्या 21 थी ।
ऽ    सेनापति - जयसिंह
ऽ    सबसे बड़ा साम्राज्य और लंबा षासन काल (49 वर्श तक) ।
ऽ    पुरन्दर की संधि - षिवाजी और जयसिंह (औरंगजेब का सेनापति )
ऽ    षासन काल में ‘‘फतवा-ए-आलमगीरी’’ का संकलन हुआ ।
ऽ    न्याय अधिकारी को ‘मुहतसिब’ कहा जाता था ।

मुगल साम्राज्य का पतन:-
ऽ    बहादूर षाह प्रथम (षाह आलम, मोहज्जम)
ऽ    औरंगजेब की मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठा ।
ऽ    ‘‘षाहे-बेखबर’’ कहा जाता था,
ऽ    जहांदर षाह - मुगल काल का प्रथम अयोग्य षासक,
ऽ    फर्रूखसियर - ‘‘घृणित कायर’’ कहा जाता था,
ऽ    मोहम्मद षाह - रंगीला कहा गया,
ऽ    जजिया कर को अंतिम रूप से समाप्त किया,
ऽ    बहादूर षाह प्रथम के समय नादिर षाह का (1739) आक्रमण,

नादिर षाह -
ऽ    नादिर षाह को ईरान का नेपोलियन कहा जाता है ।
ऽ    1739 ई. में दिल्ली पर आक्रमण, ‘तखत-ए-ताउस’ और ‘कोहिनूर’ हीरा लूटा ।

षाह आलम द्वितीय -
ऽ    सर्वप्रथम अगे्रजों ने दिल्ली पर आक्रमण किया,
ऽ    अंग्रेजों को बंगाल व बिहार की दीवानी प्राप्त हुई ।
ऽ    अकबर द्वितीय - अंग्रेजों में संरक्षण में बादषाह बनने वाला प्रथम षासक

बहादूर षाह द्वितीय-
ऽ    मुगल साम्राज्य का अंतिम षासक
ऽ    जफर के नाम से कविता करता था,
ऽ    मिर्जा गालिब का समकालीन,
ऽ    1862 ई. में मृत्यु रंगून में हुई,
ऽ    पहला मुगल षासक जिसकी मृत्यु भारतीय सीमा से बाहर हुई ।
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