मध्यकालीन भारत
राजा बीरबल की उपाधि महेष दास को दिया गया ।
भारत में बीबी का मकबरा - औरंगाबाद में
भारत में प्रथम मुस्लिम आक्रमण - अरबों ने
मोहम्मद बिन कासिम ने 712 में सिंध पर आक्रमण किया ।
मोहम्मद बिन कासिम ने सर्वप्रथम जजिया कर गैर मुस्लिमों से लगाया गया
खेती - खजूर एवं उंट पालन
तुर्को का आक्रमण:-
प्रथम - महमूद गजनवी ने सन् 1000-1027 के बीच, 17 बार आक्रमण किया
पहला आक्रमण पंजाब में 1000 ई. में राजा जयपाल से ।
1194 ई. चंदावर के युद्ध में जयचंद को परास्त किया ।
1025 ई. गुजरात के सोमनाथ मंदिर में आक्रमण कर लूटा ।
1027 ई. में अंतिम आक्रमण सिंध के जाटों पर किया ।
महमूद गजनवी के साथ एक विद्वान अलबरूनी भी आया था ।
गजनवी के षासन में -अलबरूनी ने ‘किताबुल हिन्द’ की रचना की,(विद्वान)
-फिरदौसी ने ‘षाहनामा’ की रचना की
-उल्बी ने ‘किताबुल यामिनी’ की रचना की, (इतिहासकार)
महमूद गजनवी को भारत का प्रथम सुल्तान माना जाता है ।
1008 ई. में महमूद गजनवी ने मूर्तिवाद का विरोध किया ।
उद्देष्य धर्म प्रचार नहीं था ।
मोहम्मद गोरी:- षिहाफदीन, मुइजुददीन
1175 ई. में मुल्तान पर पहला आक्रमण किया ।
1191 ई. में तराईन का प्रथम युद्ध मो. गोरी और पृथ्वीराज चैहान तृतीय के बीच, पृथ्वीराज चैहान विजय हुआ ।
1192 ई. में तराईन का द्धितीय युद्ध मो. गोरी और पृथ्वीराज चैहान तृतीय के बीच, मो. गोरी विजय हुआ ।
मो. गौरी द्वारा तराईन का द्धितीय युद्ध के बाद तुर्क राज्य की स्थापना ।
जीते राज्यों को गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंप दिया और चला गया ।
मो. गौरी ने दिल्ली को अपना राजधानी बनाया ।
गौरी ने जो सिक्के चलाया उसमें एक तरफ लक्ष्मी व दूसरी तरफ कलमा अंकित करवाया था ।
दिल्ली सल्तनत:- 1206 से 1526
गुलाम वंष (1206-1290):-
कुतुबुुद्दीन ऐबक -
गुलाम वंष का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक को माना जाता है ।
राजधानी लाहौर को बनाया था ।
दिल्ली में कुतुबमीनार का निर्माण, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद एवं अढ़ाई दिन के लिए झोपड़ा अजमेर में बनवाया था ।
दिल्ली का सुल्तान जिसकी मृत्यु पोलो (चैगान) खेलते समय घोड़े से गिरकर मृत्यु हो गया ।
संत काकी की स्मृति में कुतुबमीनार का निर्माण करवाया ।
उदारता के कारण ‘‘लाख बक्ष’ एवं ‘हातिम द्धितीय’ भी कहा गया ।
इल्तुतमिष:-
ऽ राजधानी दिल्ली को बनाया ।
ऽ अरबी लेख का षुद्ध चांदी का टका एवं तांबे का जीतल सर्वप्रथम चलाया ।
ऽ न्याय के लिए घंटी व्यवस्था प्रारंभ की ।
ऽ काजी और अमीर-ए-दान न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति की ।
ऽ इक्ता प्रथा का प्रारंभ करवाया ।
ऽ इल्तुतमिष ने सिक्कों पर ‘‘टकसाल’’ का नाम लिखने की प्रथा प्रारंभ की ।
ऽ चंगेज खां का आक्रमण हुआ ।
ऽ षासक बनने से पहले बदायूॅं का सूबेदार था ।
रजिया सुल्तान:- 1236-40 3 ) वर्श
ऽ भारत का प्रथम महिला षासिका ।
ऽ आमीर-ए-आखूर (अष्वषाला का प्रधान) हब्सी जलालुद्दीन याकूब को बनाया ।
ऽ रजिया का विवाह भटिंडा के सूबेदार अल्तूनिया से हुआ था ।
ऽ भाई वहरामषाह ने रजिया व अल्तुनिया को डाकूओं के द्वारा मरवा दिया ।
असफलता के कारण - गुलाम अमीर तुर्को की महत्वाकांक्षा थी ।
ग्यासूद्दीन बलबन:-
ऽ बलबन ने ‘जिल उल्लाह’, ‘उलगू खां’ की उपाधि धारण की ।
ऽ चहलगान की समाप्ति,
ऽ अमीर खुसरो को ‘तुती-ए-हिन्द’ कहा जाता है ।
ऽ खुसरों का जन्म इटावा (उत्तरप्रदेष) में हुआ एवं इसका वास्तविक नाम अबुल हसन अली था । इन्हे ही सितार व तबला का आविश्कारक माना जाता है ।
ऽ ‘बरीद’ नामक गुप्तचर विभाग, ‘दीवान-ए-अर्ज’ सैन्य विभाग का गठन किया
ऽ ग्यासुद्दीन बलबन की नीति को ‘‘लौह एवं रक्त’’ () की नीति कहा जाता है
ऽ पाबोस, सिजदा, नौरोज (त्यौहार, ईरानी सवंत-नयावर्श) गैर इस्लामिक प्रथा की षुरूआत ।
ऽ ग्यासुद्दीन बलबन का मानना था ‘सुल्तान का पद ईष्वर प्रदत्त होता है ।’ तथा ‘राजा को निरंकुष होना चाहिए ।’
ऽ गुलाम वंष का अंतिम षासक ‘कैमुर्स’ को माना जाता है । जिसकी हत्या कर फिरोजषाह खिलजी ।
ऽ बहरामषाह के समय ‘नाइब’ का पद प्रारंभ हुआ था ।
खिलजी वंष (1290 ई.-1320 ई. तक)
ऽ संसथापक - फिरोजषाह खिलजी को माना जाता है ।
ऽ अफगानिस्तान में हेलमंद नदी के दोनों किनारे को ‘खलज’ कहा जाता था इसलिए इन्हें खिलजी के नाम से जाना गया ।
ऽ खिलजी षासकों की सत्ता मुख्य रूप् से षक्ति पर आधारित थी ।
ऽ पहला षासक जलालुद्दीन फिरोजषाह खिलजी ।
ऽ इसकी आंतरिक नीति दूसरों को प्रसन्न करने के लिए थी ।
ऽ हिन्दु राजाओं के प्रति उदार,
ऽ विद्रोहियों के विरूद्ध दुर्बल नीति,
ऽ मुइनुद्दीन चिष्ती का दरगाह (चिष्ती), निजाउद्दीन औलिया का मजार (दिल्ली), सलीम चिष्ती (फतेहपुर सीकरी), बुलंद दरवाजा (फतेहपुर सीकरी, उ.प्र.),
ऽ ‘‘मैं वृद्ध मुस्लिम हूं और मुस्लिमों का खून बहाना मेरी आदत नहीं है ’’
जलालुद्दीन
अलाउद्दीन खिलजी:- सिकन्दर-ए-सानी
ऽ बचपन का नाम -
ऽ भूमि अनुदान प्रथा बंद करायी ।
ऽ घोड़े दागने की प्रथा षुरू करायी,
ऽ सिक्कों पर अपना उल्लेख ‘द्वितीय सिकंदर’ के रूप में कराया,
ऽ ‘‘बाजार नियंत्रण’’ इनकी महत्वपूर्ण उपलब्धि,
ऽ मदिरापान पर प्रतिबंध,
ऽ चितौड़गढ़ (राजस्थान) को जीतने वाला पहला षासक, जीतने के बाद अपने पुत्र के नाम पर ‘खिज्राबाद’ रखा ।
ऽ अलाउद्दीन के दक्षिण विजय का श्रेय मलिक काफूर को जाता है ।
ऽ मलिक काफूर (हजार दीनारी) को ग्वालियर विजय के समय खरीद कर लाया था, जिसे बाद में सेनापति बनाया । इनका विवाह कमला देवी के साथ हुआ ।
ऽ अलाउद्दीन ने मालवा विजय के उपरांत ‘अलायी दरवाजा’ (अलायी किला) का निर्माण दिल्ली में करवाया, जिसे ‘कुवल-उल-इस्लाम’ का प्रवेष द्वार कहा जाता है ।
ऽ मालवा म.प्र. के पष्चिमी क्षेत्र में है ।
ऽ लोट्स टेम्पल दिल्ली में
ऽ अलाउद्दीन ने भ्रश्टाचार को समाप्त करने के लिए ‘दीवान-ए-मुस्तकराज’ की स्थापना किया ।
ऽ ‘‘स्थायी सेना’’ गठित करने वाला पहला षासक बना ।
ऽ राषन व्यवस्था प्रारंभ की ।
ऽ ‘चराई कर’ और ‘घाटी कर’ के रूप में नया कर का प्रारंभ किया ।
ऽ अलाउद्दीन ने कहा ‘‘सेना ही राजत्व है राजत्व ही सेना है ।’’
ऽ दक्षिण विजय करने वाला प्रथम षासक ।
ऽ भारत का प्रथम सम्राट अलाउद्दीन खिलजी को माना जाता है ।
ऽ धर्म और राजनीति का पृथक्करण करने वाला षासक
ऽ राजधानी दिल्ली से सीरी (दिल्ली के पास) को बनाया ।
ऽ सैनिकों का हुलिया लिखने का प्रथा आरंभ की,
ऽ खिलजी वंष का अंतिम षासक - खुसरोषाह था ।
तुगलक वंष (1320 ई.-1414 ई. तक)
ऽ खुसरो षाह की हत्या ग्यासुद्दीन तुगलक या गाजी मलिक ने कर तुगलक वंष की स्थापना की ।
ग्यासुद्दीन तुगलक - जौना खांॅ
ऽ प्रथम षासक - ग्यासुद्दीन तुगलक
ऽ नहर निर्माण करने वाला प्रथम षासक
ऽ दक्षिण के राज्यों को पहली बार दिल्ली साम्राज्य में मिलाया ।
ऽ तुगलकाबाद षहर बसाया ।
ऽ दिल्ली अभी दूर है का संबंध - निजामुद्दीन औलिया
ऽ लकड़ी का भवन गिरने से मृत्यु
मुहम्मद बिन तुगलक
ऽ मुहम्मद बिन तुगलक को ‘रक्त पिपाष’ु, ‘पागल बादषाह’, ‘सृश्टि का आष्चर्य’, ‘विरोधाभासु’, ‘स्वप्नषील’ कहा गया है ।
ऽ ‘दीवान-ए-कोही’ नामक कृशि विभाग की स्थापना की,
ऽ इसकी मृत्यु पर बंदायू ने कहा - ‘‘प्रजा को सुल्तान से और सुल्तान को प्रजा से मुक्ति मिल गयी ।’’
ऽ ‘जहांपनाह’ नगर की स्थापना,
ऽ धर्म और राज्य को जुड़वा घोशित किया था ।
ऽ सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (तांबे व कांसे)
ऽ इनके समय में मोरक्को यात्री इब्नतूता (रचना -रेहल्म) आया ।
ऽ देवगिरी का नाम बदलकर दौलताबाद रखा ।
ऽ इनके समय में सर्वाधिक आक्रमण हुए, 34 बार जिसमें 27 में विजय हासिल
ऽ दिल्ली से देवगिरी को राजधानी बनाया ।
ऽ संपूर्ण दक्षिण भारत इनके समय स्वतंत्र हुए ।
ऽ ‘‘अकाल राहत संहिता’’ का निर्माण कराया ।
ऽ इतिहासकारों ने इसे विरोध का मिश्रण कहा ।
फिरोजषाह तुगलक -
ऽ पहला षासक जिसने ब्राहम्णो पर जजिया कर लगाया ।
ऽ रोजगार दफ्तर स्थापित,
ऽ पोस्ट मार्टम रिपोर्ट प्रारंभ करवाया,
ऽ कुतुबमीनार की पांचवी मंजिल बनवाया ।
ऽ ‘दीवान-ए-खैरात’ विभाग (दान विभा) प्रारंभ किया,
ऽ ‘दीवान-ए-वल्दगान’ विभाग (गुलामों के देखभाल के लिए) की स्थापना,
ऽ ‘दार-उल-सफा’ नामक बिमारी से मुक्ति के लिए अस्पताल,
ऽ ‘ज्वालामुखी’ और ‘जगन्नाथ’ मंदिर ध्वस्त करवाया ।
ऽ पुनः जागीदारी प्रथा का प्रारंभ करवाया ।
ऽ पहला सुल्तान ‘फुतुहाते फिरोजषाही’ (आत्मकथा) नाम से तुर्की भाशा में ।
ऽ अषोक स्तंभ को मेरठ और तोपरा स्तंभ को दिल्ली लाया ।
ऽ फिरोजषाह को सल्तनत कालीन अकबर कहा जाता है ।
ऽ सल्तनत काल का कल्याणकारी निरंकुष षासक था ।
ऽ सिंचाई हेतु नहरो का सर्वाधिक विस्तार इसके समय में हुआ ।
ऽ ‘दीवान-ए-एस्तेहाक’ (पेंषन विभाग) की स्थापना की ।
ऽ सिचाई पर कर लगाने वाला प्रथम षासक,
ऽ पहला षासक जिसने राज्य की
ऽ 1200 फलों के बाग लगवाये,
ऽ तत्कालीन इतिहासकार ‘वरनी-तारीखे’ फिरोजषाह ने लिखा ।
ऽ षम्स सिराज ने ‘अफीम-तारीखे-फिरोजषाही’ की रचना की ।
ऽ बरूद्दीन महमूद तुगलक वंष का अंतिम षासक था ।
1398 ई. में तैमूर लंग दिल्ली पहुंचा जहां महमूदषाह के साथ युद्ध हुआ, जिसमें महमूदषाह पराजित हो गया ।
तैमूर लंग 1399 ई. खिज्र खाॅं को अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर वापस चला गया
सैयद वंष (1414 ई.-1451 ई.)- संसथापक- खिज्र खाॅ,
लोदी वंष
लोदी वंष (1451 ई.-1526 ई.)- संसथापक- बहलोल लोदी (अफगानी) सिंकदर लोदी का मूल नाम - निजाम खाॅ, सिकंदर के नाम से गद्दी पर बैठा ।
गुलरूखी के नाम से कविता करता था,
सिकंदर लोदी ने 1574 ई. में आगरा षहर की स्थापना की ।
इब्राहिम लोदी लोदी वंष एवं दिल्ली सल्तनत का अंतिम षासक ।
1526 ई. में बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ, जिसमें बाबर विजयी हुआ, इसी के साथ मुगल साम्राज्य स्थापित हुआ ।
दिल्ली सल्तनत या सल्तनत काल की भाशा - फारसी
अमीर खुसरो - बलबन से लेकर ग्यासुद्दीन तुगलक तक राजदरबार में रहा ।
सल्तनत काल में तांबे के सिक्के ‘दिरहम’ कहलाते थे ।
मोहम्मद बिन तुगलक ने सोने के सिक्के चलाया जिसे दीनार कहा जाता था ।
अमीर खुसरो निजामुद्दीन औलिया का षिश्य था ।
सैनिक व आर्थिक सुधार की दृश्टि से महत्वपूर्ण काल - अलाउद्दीन खिलजी
‘‘दीवान-ए-रसालत’’ (विदेष विभाग)
‘‘दीवान-ए-अर्ज’’ ग्यासुद्दीन बलबन
मुगल काल (1526 ई.-1707 ई.)
मुगल काल की राजभाशा - फारसी था ।
अंतिम मुगल सम्राट - बहादुर षाह द्वितीय
बाबर
ऽ संस्थापक - बाबर
ऽ जन्म- 14 फरवरी 1483 ई. में फरगाना रियासत (ट्रांस आक्सियान के अंतगर्त)
ऽ 1504 ई. में काबूल विजय,
ऽ 1507 ई. में कंधार को जीता,
ऽ दौलत खाॅ और आलम खाॅ ने बाबर को भारत आने का न्यौता दिया ।
ऽ अपने आत्मकथा में मेवाड़ के राणा सांगा का उल्लेख किया है ।
ऽ पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 ई. में बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच, जिसमें बाबर विजयी,
ऽ बाबर के विजयी होने के कारण - तोपखाने का प्रयोग किया गया, तुलगुमा युद्ध नीति, तोपों की उस्मानी विधि के कारण ।
ऽ बाबर को कलंदर की उपाधि
ऽ खानवां का युद्ध - 1527 ई. में राणा सांगा (संग्राम सिंह, मेवाड़) और बाबर के बीच
ऽ बाबर ने राणा सांगा के विरूद्ध जेहाद का नारा दिया ।
ऽ विजयी होने के बाद ‘गानी’ की उपाधि धारण की ।
ऽ चंदेरी का युद्ध - 1528 ई. में मेदनी राय (चंदेरी षासक) और बाबर के बीच
ऽ घाघरा का युद्ध - 1529 बंगाली व अफगानी सेना और बाबर के बीच, यह युद्ध जल व थल दोनो में लड़ा गया मूलतः अफगानों के विरूद्ध ।
ऽ बाबर की मृत्यु 1530 ई. में
ऽ बाबर का पुत्र हुमायु, पुत्री गुलबदन बेगम
ऽ गुलबदन बेगम ने ‘हुमायुनाम’ की रचना की,
ऽ बाबर को सर्वप्रथम ‘आराम बाग’ (आगरा) में दफनाया गया ।
ऽ मकबरा ‘काबुल’ (अफगानिस्तान) में मकबरा ।
ऽ आराम बाग व ‘नूरे-अफगान’ बाबर ने बनवाया था ।
ऽ उपवनों का राजकुमार ‘बाबर’ को कहा जाता है ।
ऽ बाबर ने तुर्की में ‘बाबरनामा’ आत्मकथा की रचना की ।
हुमायु
ऽ हुमायु को भाग्यषाली षासक कहा जाता है ।
ऽ प्रमुख प्रतिद्वंदी - अफगानी नेता षेरषाह सूरी
ऽ 1539 ई. में चैसा (उ.प्र.) का युद्ध हुमायु और षेरषाह के बीच हुआ था ।
ऽ 1540 ई. में बिलग्राम का युद्ध हुमायु और षेरषाह के बीच हुआ था । षेरषाह सूरी अंतिम रूप से पराजित हुआ ।
ऽ 15 वर्शो तक भागने के पष्चात् 1555 ई. में ‘सरहिंद’ (हुमायु और अफगानों के बीच) के युद्ध में भारत वापस ।
ऽ हुमायु को ‘अफीमची’ कहा जाता था ।
ऽ ‘हुमायुनामा’ रचना - गुलबदन बेगम ने लिखी थी ।
ऽ हुमायु ने ‘दीन-पनाह’ (उ.प्र.) नामक षहर बसाया ।
ऽ दीनपनाह की सीढ़ियों से गिर कर मृत्यु हुआ ।
ऽ लेनपू ने कहा - ‘‘जिंदगी भर लड़खड़ाते रहा और लड़खड़ाते हुए मर गया’’
ऽ हुमायु का मकबरा - दिल्ली
षेरषाह सुरी
ऽ ‘षेरषाह सूरी’ के बचपन का नाम फरीद था ।
ऽ भारत में द्वितीय अफगान साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है ।
ऽ प्रथम अफगान संस्थापक - बहलोल लोदी
ऽ प्रथम युद्ध - चैसा का युद्ध (1539 ई. में) षेरषाह सूरी और हुमायु के बीच
ऽ द्वितीय युद्ध - बिलग्राम का युद्ध (1540 ई. में) षेरषाह सूरी और हुमायु के बीच
ऽ षेरषाह सूरी को मुद्रा व्यवस्था का महान निर्माणकर्ता कहा जाता है । चांदी का रूपया, तांबे का दाम निर्धारण ।
ऽ 1700 सरायों का निमार्ण कराया ।
ऽ पटना नगर की स्थापना ।
ऽ रोतासगढ़ का दुर्ग (किला) बनवाया ।
ऽ अंतिम विजय- कलिंजर विजय
ऽ भूमि के माप के लिए सन की डंडी का प्रयोग ।
ऽ षेरषाह सूरी ने ‘सड़क-ए-आजम’ (ग्रांड ट्रंक रोड़) का निर्माण कराया
ऽ षेरषाह सूरी ने अपना मकबरा सासाराम (बिहार) में बनवाया ।
ऽ षेरषाह सूरी ने पुराना किला (किला-ए-कुहना) दिल्ली में बनवाया ।
ऽ षेरषाह सूरी के षासन काल में डाक व्यवस्था का प्रचलन ।
ऽ षेरषाह सूरी के प्रषासन को अकबर का पूर्वगामी कहा जाता है ।
ऽ षेरषाह सूरी की मृत्यु आग्नेषास्त्र (उक्का) से जलकर हुई ।
अकबर - जन्म - अमरकोट में 15 अक्टूबर 1542
ऽ बचपन का नाम - बदरूद्दीन, जहरूद्दीन
ऽ गजनी का सूबेेदार
ऽ बैरम खाॅ को खान-ए-खाना (संरक्षक) की उपाधि दी ।
ऽ 1556 ई. में पानीपत का द्वितीय युद्ध अकबर और हेमु के मध्य ।
ऽ अकबर की प्रथम विजय - मालवा
ऽ ‘फतेहपुर सिकरी’ षहर को बसाया - अकबर
ऽ अकबर ने ‘दीन-ए-इलाही’ धर्म चलाया ।
ऽ 1576 ई. में हल्दी घाटी का युद्ध अकबर और महाराणा प्रताप के साथ, अकबर विजय रहा ।
ऽ 1572 ई. में गुजरात विजय के उपरांत बुलंद दरवाजा बनवाया, पहली बार अकबर समुद्र देखा ।
ऽ 1605 ई. में अकबर की मृत्यु पेचिस के कारण, मकबरा सिकन्दरा (आगरा) में
ऽ राजकवि - फैजी
ऽ इलाही सवंत् चलाया ।
ऽ सिक्खों के गुरू रामदास से भेंट की,
ऽ अकबर के काल में समस्त भूमि सुधार का श्रेय टोडरमल को जाता है ।
ऽ मनसबदारी व्यवस्था प्रारंभ की ।
ऽ आगरा किला, इलाहाबाद किला, लाहौर किला बनवाया ।
ऽ नक्कारा बजाने में पारंगत,
ऽ अनुवाद विभाग की स्थापना की ।
ऽ अकबर षासन काल में प्रांतों की संख्या 15 थी ।
ऽ नवरत्न - बीरबल (महेष दास), अबुल फजल (रचना-आईने-अकबरी), टोडरमल, तानसेन (मुल्ला दो प्याजा) ।
ऽ अकबर के काल को हिंदी कविता का स्वर्ण काल कहा जाता है ।
ऽ समकालीन - सूरदास, तुलसीदास, रैदास
ऽ अकबर ने राम-सीता सिक्का चलवाया ।
ऽ इबादत खाना बनवाया, दास प्रथा बंद करवाया ।
जहांगीर - सलीम, षेखू बाबा
ऽ पहली पत्नि - मानबाई
ऽ न्याय की जंजीर लगवाया ।
ऽ 1611 ई. में नूरजहां (मेहरूनिषा) से विवाह ।
ऽ नूरजहां के पिता एतमाउदौला का मकबरा (आगरा) में पूर्णतः संगमरमर से बनाया गया है ।
ऽ जहांगीर का मकबरा - लाहौर (षाहदरा)
ऽ नूरजहां का विवाह रोर अफगान में अली डुली बेग के साथ हुई थी ।
ऽ जहांगीर के षासन काल में दो अंग्रेज हांकिन्स (1608 ई.) और टाॅमस रो (1615 ई.) भारत आये ।
ऽ जहांगीर के षासन काल को चित्रकारी का स्वर्ण काल कहा जाता है । चित्रकार-अबुल हसन और मंसूर (पक्षियों के चित्र बनाने के लिए)
ऽ जहांगीर ने सिक्खांे के पांचवें गुरू ‘अर्जुनदेव’ को फांसी दी । (समाधि-लाहौर के पास)
ऽ खुसरों का विद्रोह हुआ था ।
ऽ जहांगीर की आत्मकथा - तजुके-जहांगीरी फारसी भाशा में ।
ऽ रहीम खान खाना के सानिध्य में जहांगीर ने षिक्षा प्राप्त की ।
ऽ इसने 12 अध्यादेष जारी करवाये थे ।
ऽ इत्र का आविश्कार - अस्मत बेग ने ।
ऽ जहांगीर की पहली का लडका - षहरयार खान
षाहजहां -
ऽ बचपन का नाम - खर्रम, पिता - आसफ खाॅ
ऽ विवाह - मुमताज (वास्तविक नाम - अर्जुमंद बानो बेगम)
ऽ मुमताज की मृत्यु - बुरहानपुर (म.प्र.) में हुई ।
ऽ षाहजहां ने आगरा में सत्ता संभाला ।
ऽ षाहजहां ‘‘सिजदा और पाबोस’’ प्रथा बंद करवाया ।
ऽ काष्मीर में ‘‘निषान बाग’’ बनवाया था ।
ऽ षाहजहां के काल को स्थापत्य कला के लिए स्वर्ण काल माना जाता है ।
ऽ ‘‘लाल किला (दिल्ली)’’, ‘‘दीवान-ए-आम’’, ‘‘दीवान-ए-खास’’ (में लिखा गया ‘पृथ्वी में स्वर्ग कहीं है तो यहीं है’- फिरदौसी ने लिखा ), का निमार्ण करवाया ।
ऽ दिल्ली का ‘जामा मस्जिद’ - उस्ताद लाहौरी, वास्तुकार- ईषा खाॅ
ऽ आगरा का ‘ताजमहल’ ’ - उस्ताद मंसूद (हुमायु के मकबरा से प्रेरित)
ऽ चांदनी चैक -
ऽ आगरा किला में ‘मोती मस्जिद’ बनवाया था ।
ऽ ‘तख्त-ए-ताउस (मयूर सिंहासन) का निर्माण
ऽ राजकवि - जगन्नाथ पंडित
ऽ षाहजहां के दरबार में वार्नियर और ट्रेवनियर आये ।
ऽ पुनः जजिया कर लगाया,
ऽ उत्तराधिकार के लिए युद्ध एवं औरंगजेब ने षाहजहां को ‘आगरा किला’ में कैद किया था ।
ऽ षाहजहां को मीरजुमला ने ‘कोहिनूर का हीरा’ भेंट किया था ।
ऽ दरबारी इतिहासकार - हामिद लाहौरी
औरंगजेब -
ऽ औरंगजेब को ‘जिंदापीर’ कहा जाता था ।
ऽ जन्म - उज्जैन के पास दोहद में
ऽ उत्तराधिकार के लिए युद्ध के समय दक्षिण का सूबेदार था ।
ऽ विवाह - दिलरास बानो बेगम (रजिया बीवी)
ऽ दो बार राज्याभिशेक,
ऽ 80 करों को समाप्त किया
ऽ सिक्खों के नौवेें गूरू ‘तेग बहादूर’ को फांसी दी गई ।
ऽ सर्वाधिक हिंदू अधिकारी ‘मंसबदार’ थे ।
ऽ वीणा बजाने में पारंगत ।
ऽ सती प्रथा, नौरोज, झरोखा दर्रान, संगीत और महिलाओं को मजार जाने पर प्रतिबंध लगाया ।
ऽ बीवी का मकबरा औरंगाबांद में बनवाया (इसे ताजमहल का फूहड़ नकल कहा गया)
ऽ औरंगजेब का मकबरा - ओरगाबाद (महाराश्ट्र)
ऽ दिल्ली किले में मोती मस्जिद बनवाया ।
ऽ इस समय प्रांतो की संख्या 21 थी ।
ऽ सेनापति - जयसिंह
ऽ सबसे बड़ा साम्राज्य और लंबा षासन काल (49 वर्श तक) ।
ऽ पुरन्दर की संधि - षिवाजी और जयसिंह (औरंगजेब का सेनापति )
ऽ षासन काल में ‘‘फतवा-ए-आलमगीरी’’ का संकलन हुआ ।
ऽ न्याय अधिकारी को ‘मुहतसिब’ कहा जाता था ।
मुगल साम्राज्य का पतन:-
ऽ बहादूर षाह प्रथम (षाह आलम, मोहज्जम)
ऽ औरंगजेब की मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठा ।
ऽ ‘‘षाहे-बेखबर’’ कहा जाता था,
ऽ जहांदर षाह - मुगल काल का प्रथम अयोग्य षासक,
ऽ फर्रूखसियर - ‘‘घृणित कायर’’ कहा जाता था,
ऽ मोहम्मद षाह - रंगीला कहा गया,
ऽ जजिया कर को अंतिम रूप से समाप्त किया,
ऽ बहादूर षाह प्रथम के समय नादिर षाह का (1739) आक्रमण,
नादिर षाह -
ऽ नादिर षाह को ईरान का नेपोलियन कहा जाता है ।
ऽ 1739 ई. में दिल्ली पर आक्रमण, ‘तखत-ए-ताउस’ और ‘कोहिनूर’ हीरा लूटा ।
षाह आलम द्वितीय -
ऽ सर्वप्रथम अगे्रजों ने दिल्ली पर आक्रमण किया,
ऽ अंग्रेजों को बंगाल व बिहार की दीवानी प्राप्त हुई ।
ऽ अकबर द्वितीय - अंग्रेजों में संरक्षण में बादषाह बनने वाला प्रथम षासक
बहादूर षाह द्वितीय-
ऽ मुगल साम्राज्य का अंतिम षासक
ऽ जफर के नाम से कविता करता था,
ऽ मिर्जा गालिब का समकालीन,
ऽ 1862 ई. में मृत्यु रंगून में हुई,
ऽ पहला मुगल षासक जिसकी मृत्यु भारतीय सीमा से बाहर हुई ।
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