पारद शिवलिंग का महत्त्व
पारद शिवलिंग संसार का अद़्वितीय और देवताओं की तरफ से मनुष्य को मिला हुआ वरदान है। संसार में बहुत कम प्राप्य है और प्रयत्न करने पर सब कुछ मिल सकता है परन्तु मन्त्र-सिद्ध प्राण-प्रतिष्ठा युक्त रस-सिद्ध पारे से निर्मित पारद शिवलिंग प्राप्त होना सौभाग्य का ही सूचक है, इसके दर्शन से पूर्व जन्म के पाप क्षय हो जाते है तथा सौभाग्य का उदय होने लगता है।
सामान्यत: पारद का शोधन अत्यन्त कठिन कार्य है और इसे ठोस बनाने के लिए मुर्छित खेचरित, कीलित, शम्भू विजित और शोधित जैसी कठिन प्रक्रियाओं में से गुजरना पड़ता है, तब जाकर कहीं पारा ठोस आकार ग्रहण करता है और उससे शिवलिंग का निर्माण होता है।
शिवलिंग निर्माण के बाद कई मांत्रिक क्रियाओं से गुजरने पर ही पारद शिवलिंग रस-सिद्ध एवं चैतन्य हो पाता है जिससे वह पूर्ण सक्षम एवं प्रभावयुक्त बनता है। इसलिए तो कहा गया है कि जिसके घर में पारद शिवलिंग है उस घर में सर्दसिद्धियों परमात्मा के सहित उपस्थिति रहती है। वह अगली पीढियों तक के लिए ऋद्धी- सिद्धि एवं स्थायी लक्ष्मी को स्थापित कर लेता है।
जीवन में जो मनुष्य सर्वश्रेष्ट बने रहना चाहते हैं, जो व्यक्ति सामान्य घर से जन्म लेकर विपरीत परिस्थितियों में बडे होकर सभी प्रकार की बाधाओं, कष्टों और समस्याओं के होते हुए भी जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते है या जो व्यक्ति आर्थिक, व्यापारिक और भौतिक दृष्टि से पूर्ण सुख प्राप्त करना चाहते है उन्हें अपने घर में अवश्य ही पारद शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार रावण रससिद्ध योगी था, उसने पारद शिवलिंग की पूजा कर शिव को पूर्ण प्रसन्न कर अपनी नगरी स्वर्णमयी बनाने में सफ विवरण रूद्र-संहिता में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है।
विशेष फल :- पारे के शिवलिंग पर चढाए़ जल को हर व्यक्ति को अपने माथे पर धारण करना चाहिए या प्रसाद केल हो सका था। बाणासुर ने पारद शिवलिंग की पूजा कर उनसे मनोवांछित प्राप्त किया था, यह तौर पर ग्रहण करना चाहिए क्योंकि पारे के शिवलिंग पर चढाए़ गया जल पवित्र गया जल पवित्र व रोगनाशक होता है। प्रत्येक सोमवार को सुबह पारे के शिवलिंग की पूजा करने से व श्रावणमास में उसका रूद्राभिषेक करने से मनोवांछित लाभ होता है तथा रोज शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से धन की वृद्धि होती है यदि बेलपत्र न हो तो फूल व फल भी चढा सकते है। शिवपुराण में कहा गया है कि इसकी अर्चना से यमराज का दूत भी शांत होकर वापिस चला जाता है। ये सभी बातें तथ्यों पर आधारित तथा पारदिशवलिंग के भक्तजनों के अनुभव के आधार पर सच है। इसलिए हर बुद्धिमान व समृद्ध व्यक्ति के लिए जरूरी है कि वह दिव्य गुण से युक्त पारदे वर को अपने घर, फैक्ट्री या आफिस में स्थापित करना चाहिए।
संक्षेप में : पारद शब्द में प: विष्णु, आ: कालिका, र: शिव, द: ब्रह्मा, इस तरह सभी विद्यमान है। पारद से बने लिंग की पूजा की जाए तो धन, ज्ञान, सिद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त होता है। (पारदसंहिता)
इस शिवलिंग की महिमा के बारे में जितना वर्णन किया जाए उतना ही कम है पर इसका अनुभव प्राप्त करने के बाद आपका विश्वास इस पर ओर अधिक बढ़ जाएगा।
दर्शन फल :-
केदारादीनि लिंगानी पृथ्वियं यानि कानिचित
तानि दृष्टिवाच यत्पुण्य तत्पुण्यं रसदर्शनात।।
इस पृथ्वी पर केदारनाथ से लेकर जितने भी महादेव जी के लिंग (प्रतिमा) है, उन सबसे दर्शन से जो पुण्य होता है, वह पुण्य केवल इस के दर्शन करने मात्र से ही मिल जाता है।
सामान्यत: पारद का शोधन अत्यन्त कठिन कार्य है और इसे ठोस बनाने के लिए मुर्छित खेचरित, कीलित, शम्भू विजित और शोधित जैसी कठिन प्रक्रियाओं में से गुजरना पड़ता है, तब जाकर कहीं पारा ठोस आकार ग्रहण करता है और उससे शिवलिंग का निर्माण होता है।
शिवलिंग निर्माण के बाद कई मांत्रिक क्रियाओं से गुजरने पर ही पारद शिवलिंग रस-सिद्ध एवं चैतन्य हो पाता है जिससे वह पूर्ण सक्षम एवं प्रभावयुक्त बनता है। इसलिए तो कहा गया है कि जिसके घर में पारद शिवलिंग है उस घर में सर्दसिद्धियों परमात्मा के सहित उपस्थिति रहती है। वह अगली पीढियों तक के लिए ऋद्धी- सिद्धि एवं स्थायी लक्ष्मी को स्थापित कर लेता है।
जीवन में जो मनुष्य सर्वश्रेष्ट बने रहना चाहते हैं, जो व्यक्ति सामान्य घर से जन्म लेकर विपरीत परिस्थितियों में बडे होकर सभी प्रकार की बाधाओं, कष्टों और समस्याओं के होते हुए भी जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते है या जो व्यक्ति आर्थिक, व्यापारिक और भौतिक दृष्टि से पूर्ण सुख प्राप्त करना चाहते है उन्हें अपने घर में अवश्य ही पारद शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार रावण रससिद्ध योगी था, उसने पारद शिवलिंग की पूजा कर शिव को पूर्ण प्रसन्न कर अपनी नगरी स्वर्णमयी बनाने में सफ विवरण रूद्र-संहिता में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है।
विशेष फल :- पारे के शिवलिंग पर चढाए़ जल को हर व्यक्ति को अपने माथे पर धारण करना चाहिए या प्रसाद केल हो सका था। बाणासुर ने पारद शिवलिंग की पूजा कर उनसे मनोवांछित प्राप्त किया था, यह तौर पर ग्रहण करना चाहिए क्योंकि पारे के शिवलिंग पर चढाए़ गया जल पवित्र गया जल पवित्र व रोगनाशक होता है। प्रत्येक सोमवार को सुबह पारे के शिवलिंग की पूजा करने से व श्रावणमास में उसका रूद्राभिषेक करने से मनोवांछित लाभ होता है तथा रोज शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से धन की वृद्धि होती है यदि बेलपत्र न हो तो फूल व फल भी चढा सकते है। शिवपुराण में कहा गया है कि इसकी अर्चना से यमराज का दूत भी शांत होकर वापिस चला जाता है। ये सभी बातें तथ्यों पर आधारित तथा पारदिशवलिंग के भक्तजनों के अनुभव के आधार पर सच है। इसलिए हर बुद्धिमान व समृद्ध व्यक्ति के लिए जरूरी है कि वह दिव्य गुण से युक्त पारदे वर को अपने घर, फैक्ट्री या आफिस में स्थापित करना चाहिए।
संक्षेप में : पारद शब्द में प: विष्णु, आ: कालिका, र: शिव, द: ब्रह्मा, इस तरह सभी विद्यमान है। पारद से बने लिंग की पूजा की जाए तो धन, ज्ञान, सिद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त होता है। (पारदसंहिता)
इस शिवलिंग की महिमा के बारे में जितना वर्णन किया जाए उतना ही कम है पर इसका अनुभव प्राप्त करने के बाद आपका विश्वास इस पर ओर अधिक बढ़ जाएगा।
दर्शन फल :-
केदारादीनि लिंगानी पृथ्वियं यानि कानिचित
तानि दृष्टिवाच यत्पुण्य तत्पुण्यं रसदर्शनात।।
इस पृथ्वी पर केदारनाथ से लेकर जितने भी महादेव जी के लिंग (प्रतिमा) है, उन सबसे दर्शन से जो पुण्य होता है, वह पुण्य केवल इस के दर्शन करने मात्र से ही मिल जाता है।
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