Saturday, June 1, 2013

अयुर्वेद के समस्‍त औषधियां


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छत्‍तीसगढ सामान्‍य ज्ञान

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Thursday, June 3, 2010

Thursday, May 13, 2010

महाशिवरात्रिः छोटे-छोटे उपाय सुख-समृद्धि लाएं



विशेषः महाशिवरात्रि के दिन किए जाने वाले उपाय महत्वपूर्ण व शीघ्र फलदायी होते हैं। इस दिन भोलेनाथ प्रसन्न हो वरदान अवश्य देते हैं। इसके महत्व को समझते हुए भोलेनाथ की कृपा से समस्याओं से निजात हासिल की जा सकती है।

कोई भी प्रयोग महाशिवरात्रि के दिन, किसी भी समय कर सकते हैं। मुंह उत्तर/पूर्व की ओर करके पूजा स्थान पर बैठें। ऊन का आसन होना चाहिए। लकड़ी की चौकी पर लाल सूती वस्त्र बिछाना चाहिए। दूसरी चौकी पर शिव परिवार का चित्र/ शिव यंत्र व थाली में चंदन से बड़ा ú बनाकर अवश्य रखें। ú के मध्य में यंत्र या प्रतिमा रखें। पुष्प, माला, मौली, बेलपत्र, धतूरा अवश्य रखें। चंदन केसर मिश्रित जल से यंत्र/प्रतिमा का अभिषेक कर स्वच्छ जल से धोकर स्वच्छ कपड़े से पोंछ कर स्थापित करना चाहिए।

भाग्यवृद्धि के लिए

* किसी गहरे पात्र में पारद शिवलिंग स्थापित करें। पात्र को सफेद वस्त्र पर स्थापित करें। ú हृीं नम: शिवाय हृीं ú मंत्र का ठीक आधे घंटे तक जाप करते हुए जलधारा पारद शिवलिंग पर अर्पित करें। अर्पित जल को बाद में किसी पवित्र वृक्ष की जड़ में डाल दें। शिवलिंग पूजा स्थान में स्थापित करें और नित्य नियम से मंत्र का जाप करें।

* यदि ग्यारह सफेद एवं सुगंधित पुष्प लेकर चौराहे के मध्य प्रात: काल सूर्योदय से पूर्व रख दिए जाएं, तो ऐसे व्यक्ति को अचानक धन लाभ की प्राप्ति की संभावना बनती है। यदि यह उपाय करते वक्त या उपाय करने के लिए घर से निकलने समय कोई सुहागिन स्त्री दिखाई दे, तो निश्चय ही धन-समृद्धि में वृद्धि होती है। चौराहे के मध्य में गुलाब के इत्र की शीशी खोलकर इत्र डालकर वहीं छोड़ आएं, तो ऐसे भी समृद्धि बढ़ती जाती है। जो महाशिवरात्रि पर न कर पाएं, वह शुक्ल पक्ष के दूसरे शुक्रवार को यह उपाय कर समृद्ध बन सकता है।

* एक बांसुरी को लाल साटन में लपेटकर व पूजनकर तिजोरी में स्थापित किया जाए, तो व्यवसाय में बढ़ोतरी होती है।

नजर से बचने के लिए

जिस व्यक्ति को नजर लगी हो या बार-बार नजर लग जाती हो तो उस व्यक्ति के ऊपर से मीठी रोटी उसारकर ढाक के पत्ते पर रखकर चौराहे के मध्य में प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व रखना चाहिए। मीठी रोटी को रखने के बाद उसके चारों ओर सुगंधित फूल की माला रख देनी चाहिए। यह याद रखें कि जिस व्यक्ति को जल्दी-जल्दी नजर लगती हो उन्हें चौराहे के ठीक मध्य भाग से नहीं गुजरना चाहिए।

ग्रह दोष निवारण के लिए

पहले जान लें कि किस ग्रह के कारण बाधाएं जीवन में आ रही हैं। उस ग्रह से संबंधित अनाज लेकर ढाक के पत्ते पर रखकर चौराहे के मध्य में रखना चाहिए तथा उसके चारों ओर सुगंधित पुष्पमाला चढ़ानी चाहिए। विभिन्न ग्रहों से संबंधित अनाज इस प्रकार हैं। महाशिवरात्रि पर सूर्योदय से पूर्व ग्रह से संबंधित अनाज रख कर आएं। ध्यान रखें कि अनाज की मात्रा 250 ग्राम से कम न हो। जिस चौराहे पर वर्षा ऋतु में जल का भराव हो जाता हो, उस चौराहे पर उपाय नहीं करने चाहिए। वहां अभीष्ट फल की प्राप्ति नहीं होती।

पुत्र प्राप्ति के लिए

पश्चिम दिशा में मुंह करके पीले आसन पर बैठें। जहां तक हो सके पीले वस्त्र पहनें। लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछा कर एक ताम्रपत्र में ‘संतान गोपाल यंत्र’ तीन कौड़ियां, एक लग्न मंडप सुपारी स्थापित करें, केसर का तिलक लगाएं। पीले फूल चढ़ाएं व भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप का ध्यान करें व स्फटिक माला से प्रतिदिन 5 माला जप निम्न मंत्र का करें।

देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पये

देहि में तनयं कृष्णत्वा महं शरणागते।

अब सब सामग्री की पोटली में बांधकर पूजा स्थान में रख दें। रोज श्रद्धा से दर्शन करें। जब आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाए, तब पोटली को जल में प्रवाहित कर दें। भगवान शिव कू कृपा से सुंदर, दीर्घायु, ऐश्वर्यवान पुत्र की प्राप्ति होगी। इस शुभ अवसर का लाभ अवश्य उठाना चाहिए।

कॅरियर और रुद्राक्ष

जीवन में सफलता के लिए नवग्रह रुद्राक्ष माला सवरेतम है। किसी कारणवश जो इस अवसर पर रुद्राक्ष न पहन सकें, तो वे श्रावण माह में अवश्य धारण कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। रुद्राक्ष बिल्कुल शुद्ध होना चाहिए।

* राजनेताओं को पूर्ण सफलता के लिए तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

* न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोग एक व तेरह मुखी रुद्राक्ष दोनों ओर चांदी के मोती डलवा कर पहनें ।

* वकील चार व तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

* बैंक मैनेजर ग्यारह व तेरह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* सीए आठ व बारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* पुलिस अधिकारी नौ व तेरह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* डॉक्टर, वैद्य नौ व ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* सर्जन दस, बारह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* चिकित्सा जगत के लोग 3 व चार मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* मैकेनिकल इंजीनियर दस व ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* सिविल इंजीनियर आठ व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* इलेक्ट्रिकल इंजीनियर सात व ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर चौदह व गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनें।

* कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर नौ व बारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* पायलट, वायुसेना अधिकारी दस व ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* अध्यापक छह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* ठेकेदार ग्यारह, तेरह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* प्रॉपर्टी डीलर एक, दस व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* दुकानदार दस, तेरह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* उद्योगपति बारह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

* होटल मालिक एक, तेरह व चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनें।

पारद शिवलिंग का महत्त्व

पारद शिवलिंग का महत्त्व

पारद शिवलिंग संसार का अद़्वितीय और देवताओं की तरफ से मनुष्य को मिला हुआ वरदान है। संसार में बहुत कम प्राप्य है और प्रयत्न करने पर सब कुछ मिल सकता है परन्तु मन्त्र-सिद्ध प्राण-प्रतिष्ठा युक्त रस-सिद्ध पारे से निर्मित पारद शिवलिंग प्राप्त होना सौभाग्य का ही सूचक है, इसके दर्शन से पूर्व जन्म के पाप क्षय हो जाते है तथा सौभाग्य का उदय होने लगता है।

सामान्यत: पारद का शोधन अत्यन्त कठिन कार्य है और इसे ठोस बनाने के लिए मुर्छित खेचरित, कीलित, शम्भू विजित और शोधित जैसी कठिन प्रक्रियाओं में से गुजरना पड़ता है, तब जाकर कहीं पारा ठोस आकार ग्रहण करता है और उससे शिवलिंग का निर्माण होता है।

शिवलिंग निर्माण के बाद कई मांत्रिक क्रियाओं से गुजरने पर ही पारद शिवलिंग रस-सिद्ध एवं चैतन्य हो पाता है जिससे वह पूर्ण सक्षम एवं प्रभावयुक्त बनता है। इसलिए तो कहा गया है कि जिसके घर में पारद शिवलिंग है उस घर में सर्दसिद्धियों परमात्मा के सहित उपस्थिति रहती है। वह अगली पीढियों तक के लिए ऋद्धी- सिद्धि एवं स्थायी लक्ष्मी को स्थापित कर लेता है।

जीवन में जो मनुष्य सर्वश्रेष्ट बने रहना चाहते हैं, जो व्यक्ति सामान्य घर से जन्म लेकर विपरीत परिस्थितियों में बडे होकर सभी प्रकार की बाधाओं, कष्टों और समस्याओं के होते हुए भी जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते है या जो व्यक्ति आर्थिक, व्यापारिक और भौतिक दृष्टि से पूर्ण सुख प्राप्त करना चाहते है उन्हें अपने घर में अवश्य ही पारद शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए।

शास्त्रों के अनुसार रावण रससिद्ध योगी था, उसने पारद शिवलिंग की पूजा कर शिव को पूर्ण प्रसन्न कर अपनी नगरी स्वर्णमयी बनाने में सफ विवरण रूद्र-संहिता में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है।

विशेष फल :- पारे के शिवलिंग पर चढाए़ जल को हर व्यक्ति को अपने माथे पर धारण करना चाहिए या प्रसाद केल हो सका था। बाणासुर ने पारद शिवलिंग की पूजा कर उनसे मनोवांछित प्राप्त किया था, यह तौर पर ग्रहण करना चाहिए क्योंकि पारे के शिवलिंग पर चढाए़ गया जल पवित्र गया जल पवित्र रोगनाशक होता है। प्रत्येक सोमवार को सुबह पारे के शिवलिंग की पूजा करने से श्रावणमास में उसका रूद्राभिषेक करने से मनोवांछित लाभ होता है तथा रोज शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से धन की वृद्धि होती है यदि बेलपत्र हो तो फूल फल भी चढा सकते है। शिवपुराण में कहा गया है कि इसकी अर्चना से यमराज का दूत भी शांत होकर वापिस चला जाता है। ये सभी बातें तथ्यों पर आधारित तथा पारदिशवलिंग के भक्तजनों के अनुभव के आधार पर सच है। इसलिए हर बुद्धिमान समृद्ध व्यक्ति के लिए जरूरी है कि वह दिव्य गुण से युक्त पारदे वर को अपने घर, फैक्ट्री या आफिस में स्थापित करना चाहिए।

संक्षेप में : पारद शब्द में : विष्णु, : कालिका, : शिव, : ब्रह्मा, इस तरह सभी विद्यमान है। पारद से बने लिंग की पूजा की जाए तो धन, ज्ञान, सिद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त होता है। (पारदसंहिता)

इस शिवलिंग की महिमा के बारे में जितना वर्णन किया जाए उतना ही कम है पर इसका अनुभव प्राप्त करने के बाद आपका विश्वास इस पर ओर अधिक बढ़ जाएगा।

दर्शन फल :-

केदारादीनि लिंगानी पृथ्वियं यानि कानिचित
तानि दृष्टिवाच यत्पुण्य तत्पुण्यं रसदर्शनात।।

इस पृथ्वी पर केदारनाथ से लेकर जितने भी महादेव जी के लिंग (प्रतिमा) है, उन सबसे दर्शन से जो पुण्य होता है, वह पुण्य केवल इस के दर्शन करने मात्र से ही मिल जाता है।

महिमा पारद शिवलिंग की


महिमा पारद शिवलिंग की

ज्योतिष की दृष्टि से कर्क, वृषभ, तुला, मिथुन और कन्या राशि के जातकों को इसकी पूजा से विशेष फल प्राप्त होते हैं। सामान्य रूप से इसके पूजन से विद्या,धन, ग्रहदोष निवारण, कार्य में आने वाली बाधाएं और ऊपरी बाधाएं दूर होकर सुख -समृद्धि प्राप्त होती है।

सृष्टि के प्रारंभ से ही आशुतोष भगवान सदाशिव की आराधना निराकार और साकार दोनों ही रूपों में की जाती रही है। मनुष्य के अलावा शिव आराधना देवता,दानव, किन्नर,गंधर्व, भूत-प्रेत पिशाचादि इतर योनि के जीव भी करते हैं। शिवभक्त पुष्पदंत के अनुसार महेशान्नापरोदेवो यानी भगवान महेश से बढ़कर कोई अन्य देव नहीं है इसलिए उन्हें महादेव कहा गया है। इनकी लिंग रूप में आराधना युगों-युगों से की जाती रही है। ये लिंग अनेक प्रकार की धातु, मणि, मिट्टी और पाषाण से निर्मित होते हैं हैं। कुछ शिवलिंग स्वयंभू होते हैं तथा कुछ ज्योर्तिलिंग होते हैं। इन सभी प्रकार के शिवलिंगों की आराधना का स्थान और समय के अनुसार अपना अपना महžव है। किंतु इन सबमें सर्वोच्च शिवलिंग पारद धातु से निर्मित माना गया है। रसेन्द्र पुराण में कहा गया है-बद्ध: साक्षात्सदाशिव: यानी दोष हीन बद्ध पारा साक्षात् सदाशिव का ही रूप है। इसलिए महाशिवरात्रि सहित प्रत्येक माह में पड़ने वाल प्रदोष व्रत पर इसकी उपासना विशेष पुण्यदायिनी होती है।

इस शिवलिंग में शिव-शक्ति लक्ष्मी, कुबेर सहित तैंतीस कोटि देवता का निवास होता है। इसे घर में स्थापित करने पर भूमिदोष,पितृदोष,कुल देवी देवता के दोष और नवग्रह से होने वाली पीड़ा से मुक्ति मिलती है। पारद शिवलिंग को रसलिंग भी कहा जाता है। भगवान शंकर के जितने नाम कहे गए हैं उतने ही नाम पारद के भी बतलाए हैं। बद्ध पारद और भगवान शिव में कोई अन्तर नहीं है। इनका ध्यान करने से मन की चंचलता शांत होती है। संपूर्ण त्रैलोक्य में मन को शांत और नियंत्रित करने का एकमात्र उपाय रसलिंग का पूजन और दर्शन है। इस लिंग पूजा के पांच प्रकार बताए गए हैं। भक्षण ( पारद से निर्मित भस्मों से रोगोपचार), स्पर्शन ( रसलिंग को स्पर्श करना), दान ( रसलिंग का दान करना),ध्यान ( इसके दिव्य स्वरूप का ध्यान करना) तथा परिपूजन ( षोडशोपचारादि पूजन करना)। इनमें भक्षण को छोड़कर शेष चार प्रकार की अर्चना सभी के द्वारा की जा सकती है।

पारद में एक अरब गुण होते हैं। इसके दर्शन,स्पर्श और पूजन से मिलने वाले फल के बारे में कहा गया है कि जो मनुष्य भक्ति पूर्वक रसलिंग बनाकर पूजन करता है वह तीनों लोकों में जितने शिवलिंग हैं,उन सब की पूजा के फल को प्राप्त होता है। स्वयंभू सहस्रों शिवलिंगों की पूजा करने से जो फल प्राप्त होता है,उससे करोड़ गुना फल पारद शिवलिंग की पूजा से प्राप्त होता है।

केदारादीनि लिंगानि पृथिव्यां यानि कानिचित।
तानि दृष्टवा य यत्पुण्यं तत्पुण्यं रसदर्शनात्।।

यानी इस पृथ्वी पर केदारनाथ से लेकर जितने भी शिवलिंग हैं उन सबके दर्शन करने से जो पुण्य प्राप्त होता है,वह पुण्य केवल पारदशिवलिंग के दर्शन मात्र से होता है। अन्य स्थान पर कहा गया है कि हे पार्वती! जो मनुष्य ह्वदय कमल में स्थित पारद का स्मरण करता है,वह अनेक जन्मों के संचित पापों से तत्काल छूट जाता है। पारद शिवलिंग की महिमा का वर्णन इन शब्दों मे पढ़कर स्वत: श्रद्धा जाग्रत हो जाती है- जो पुण्य एक सौ अश्वमेध यज्ञ करने से ,करोड़ो गाएं दान करने से, एक हजार तोला स्वर्ण दान करने से तथा सब तीर्थो में अभिषेक करने से होता है, वही पुण्य पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से होता है।

सर्वसिद्धिप्रदं देविं सर्वकामफलप्रदम्।
स्मरणं रस राजस्य सर्वोपद्रवनाशनम्।।

हे देवि ! रसराज के स्मरण मात्र से सर्वप्रकार की सिद्धि, सब कार्यो में सफलता तथा सभी उपद्रवों का नाश होता है।

सप्तद्वीपे धरण्यांच पाताले गगने दिवि।
यान्यर्चयन्ति लिंगानि तत्पुण्यं रस पूजया।।

सातों द्वीपों,पृथ्वी,पाताल,गगन एवं दिशाओं में स्थित शिवलिंगों के पूजन से जो पुण्य होता है,वही पुण्य केवल पारदशिवलिंग की पूजा से प्राप्त होता है।

पूजन विघि
महाशिवरात्रि के दिन दोपहर में जिस समय अभिजित मुहूर्त हो, दस संस्कारों से संस्कारित पारद धातु का अंगुष्ठ प्रमाण का शिवलिंग बनवाकर अपने पूजा कक्ष में ईशान्य कोण में स्थापित करें। लिंग का षोडषोपचार पूजन से करने अथवा करवाने के बाद रूद्राक्ष की माला से ऊं पारदेश्वराय नम: इस मंत्र की आवृत्ति एक हजार आठ बार करें। इसके बाद प्रतिदिन शिवलिंग का सावधानीपूर्वक स्त्रान, धूप,दीप, नैवेद्य सहित अर्चना करते हुए एक पुष्प अर्पण करें। उपर्युक्त मंत्र की एक सौ आठ आवृत्ति कम से कम अवश्य करें। ज्योतिष की दृष्टि से कर्क, वृषभ, तुला, मिथुन और कन्या राशि के जातकों को इसकी पूजा से विशेष फल प्राप्त होते हैं। सामान्य रूप से इसके पूजन से विद्या,धन, ग्रहदोष निवारण, कार्य में आने वाली बाधाएं और ऊपरी बाधाएं दूर होकर सुख -समृद्धि प्राप्त होती है। यह आराधना एक साल तक निर्बाध रूप से करते रहने पर साक्षात शिव की कृपा होती है।

Wednesday, May 12, 2010

शिव महिमा


                                                                साक्षात् विष्‍णु के अवतार भगवान श्री क़ष्‍ण के अतिरिक्‍त मनुष्‍य में सामर्थ्‍य नहीं कि वह भगवान सदाशिव की महिमा का वर्णन कर सके ा और अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें http://www.shivbhakt.blogspot.in/